एक गांव में किसान रहता था,उसका एक बहुत बड़ा खेत था जिंसमें वह खेती का कार्य करता था।उसके खेत के बीचों-बीच में एक बहुत बड़ी चट्टान थी, किसान उस खेत में लगभग 15-20 सालों से खेती कर रहा था लेकिन हर बार वह जब खेती में हल चलाता तो उस चट्टान के पास पहुंचकर वह ठोकर खाकर गिर जाता था और कई बार उसके हल और अन्य औजार भी उस चट्टान से टकराकर टूट जाते थे।
ये हर वर्ष की कहानी थी, हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वह किसान खेती करने के लिए खेत में पहुंचा ओर हमेशा की तरह इस वर्ष भी उसका हल चट्टान से टकराया और टूट गया लेकिन इस बार उस किसान को बहुत गुस्सा आ गया उसने ठान लिया अब वह चट्टान को उखाड़ कर अलग कर देगा तभी खेती का कार्य करेगा। यह सोच कर वह अपने गांव में गया ओर अपने दस-बारह साथियों को लेकर वापस लौटा और उस चट्टान को खुद ही खोदने लगा।ऊपरी मिट्टी साफ करके मुश्किल से एक फीट मिट्टी खोदने पर ही वह चट्टान हिलने लगी,ये देखकर उसके साथी उसी पर हँसने लगे और कहने लगे कि बताओ जब ये इतनी आसानी से हिलने वाला पत्थर था तो हमें क्यों बुलाया था खुद ही निकाल लेते,मूर्खों की तरह इतने सालों से इसको झेल रहे हो।।
जब किसान ने इस बात पर गौर किया तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ,ओर वह सोचने लगा कि में व्यर्थ ही इस बड़े से पत्थर को चट्टान समझ के परेशान होता रहा,न जाने कितना नुकसान झेला,कितनी बार ठोकर खाकर गिरा और अपने ही साथियों के समक्ष मजाक का पात्र बना,काश ये कोशिश पहले ही कर ली होती तो आज तक ये सब न झेलना पड़ता।।।
शिक्षा- अक्सर हम उन छोटी-छोटी समस्याओं को चट्टान की तरह बड़ा समझकर उनसे अपना नुकसान करवाते रहते हैं जो वास्तव में एक सामान्य पथ्थर की तरह होतीं है,जिन्हें हम खुद ही प्रयास करके हल कर सकते हैं।समस्या छोटी हो या बड़ी सबसे पहले हमें उसका सामना करना चाहिए तभी उसका समाधान संभव है,यदि हम उस समस्या से भागेंगे तो वह हर बार और हमेशा हमारा कुछ न कुछ नुकसान अवश्य करवाएगी।
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